Thursday, 19 June 2014

ॐ श्री गुरुवे नमः



अखंडमंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम 1  तद्पदम   दर्शितं   येन तस्मै   श्री   गुरवे नमः 1

अज्ञानतिमिरान्धस्य ग्यानान्जनाश्लाकया 1 चक्षुरुन्मीलितम येन तस्मै श्री गुरुवे नमः11

गुरुर्ब्रह्मा   गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो   महेश्वरः  1  गुरुसक्षात परम  ब्रह्मः तस्मै श्री गुरुवे नमः 11

स्थावरं जंगमं व्याप्तं यत्किंचित सचराचरम 1 तद्पदम दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः 11

नित्यानंदम व्यापि - यत्सर्वंम त्रैलोक्यम् सचराचरम 1तद्पदम दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः 11

सर्वश्रुतिशिरोरत्न       विराजित्पदाम्बुजः1  वेदान्ताम्बुज     सूर्यो   यः तस्मै    श्री   गुरवे नमः 11

चैतन्य: शाश्वतं शान्तं व्योमातीतं निरंजनम 1 नाद्विन्दुकलातीतम  तस्मै    श्री   गुरवे नमः 11

ज्ञानशक्तिसमारूढा: तत्वमालाविभुशितः 1  भुक्तिमुक्तिप्रदाता च  तस्मै    श्री   गुरवे नमः 11

अनेक्जन्म्सम्प्राप्तः     कर्मबन्धविदाहिने1 आत्मज्ञानप्रदानेन  तस्मै    श्री   गुरवे नमः 11

शोषणं भवसिन्धोश्च ग्यापनम सारसंपदा:1 गुरुपादोदकं सम्यक  तस्मै    श्री   गुरवे नमः 11

न गुरोरधिकं तत्वं न गुरोरधिकं तपः 1 तत्वं ज्ञानात्परं नास्ति   तस्मै    श्री   गुरवे नमः 11